अन्नमय्य कीर्तन षोडश कलानिधिकि
रागं: ललिता आ: स रि1 ग3 म1 द1 नि3 स अव: स नि3 द1 म1 ग3 रि1 स तालं: पल्लवि षोडश कलानिधिकि षोडशोपचारमुलु जाडतोड निच्चलुनु समर्पयामि ॥ (2.5) चरणं 1 अलरु विश्वात्मकुननु आवाहनमिदॆ सर्व निलयुनकु आसनमु नॆम्मिनिदे । अलगंगा जनकुनकु अर्घ्यपाद्य-अचमनालु जलधि शायिकिनि मज्जनमिदे ॥ षोडश कलानिधिकि षोडशोपचारमुलु (प.) जाडतोड निच्चलुनु समर्पयामि ॥ (प.) (1.5) चरणं 2 वरपीतांबरुनकु वस्त्रालंकारमिदॆ सरि श्रीमंतुनकु भूषणमुलिवे । (2.5) धरणीधरुनकु गंधपुष्प धूपमुलु तिरमिदॆ कोटिसूर्यतेजुनकु दीपमु ॥ (2.5) षोडश कलानिधिकि षोडशोपचारमुलु (प.) जाडतोड निच्चलुनु समर्पयामि ॥ (प.) (1.5) चरणं 3 अमृतमथनुनकु नदिवो नैवेद्यमु रविजंद्रनेत्रुनकु कप्पुरविडॆमु । अमरिन श्रीवेंकटाद्रि मीदि देवुनिकि तमितो प्रदक्षिणालु दंडमुलु निविगो ॥ षोडश कलानिधिकि षोडशोपचारमुलु (प.) जाडतोड निच्चलुनु समर्पयामि ॥ (प.) (1.5)
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