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सद्गुरु स्तवम्

सिद्धि बुद्धि महायोग वरणीयो गणाधिपः
यस्स्वयं सच्चिदानन्दं सद्गुरुं तं नमाम्यहम् ॥ 1 ॥

यस्य दत्तात्रेय भावो भक्ताना मात्म दानतः
सूच्यते सच्चिदानन्दं सद्गुरुं तं नमाम्यहम् ॥ 2 ॥

योगा ज्ज्योति स्समुद्दीप्तं जयलक्ष्मी नृसिंहयोः
अद्वयं सच्चिदानन्दं सद्गुरुं तं नमाम्यहम् ॥ 3 ॥

योगविद्या चित्रभानुं चित्रभानु शरद्भवम्
ज्ञानदं सच्चिदानन्दं सद्गुरुं तं नमाम्यहम् ॥ 4 ॥

गणेश होमेर्कदिने नित्यं श्रीचक्र पूजने
दीक्षितं सच्चिदानन्दं सद्गुरुं तं नमाम्यहम् ॥ 5 ॥

अगस्त्यमुनि सङ्क्रान्त नाना वैद्य दुरन्धरम्
भवघ्नं सच्चिदानन्दं सद्गुरुं तं नमाम्यहम् ॥ 6 ॥

वाद्योदञ्च द्दिव्यनाम सङ्कीर्तन कलानिधिम्
नादाब्धिं सच्चिदानन्दं सद्गुरुं तं नमाम्यहम् ॥ 7 ॥

दत्त पीठाधिपं धर्म रक्षणोपाय बन्धुरम्
सत्कविं सच्चिदानन्दं सद्गुरुं तं नमाम्यहम् ॥ 8 ॥

विधूत भक्त सम्मोह मवधूतं जगद्गुरुम्
स्वाश्रयं सच्चिदानन्दं सद्गुरुं तं नमाम्यहम् ॥ 9 ॥

साधुत्वं भक्ति मैश्वर्यं दानं योग मरोगताम्
सन्मतिं ज्ञान मानन्दं सद्गुरु स्तवतो लभेत् ॥ 10 ॥




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