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अय्यप्प पंच रत्नम् लोकवीरं महापूज्यं सर्वरक्षाकरं विभुम् । विप्रपूज्यं विश्ववंद्यं विष्णुशंभोः प्रियं सुतम् । मत्तमातंगगमनं कारुण्यामृतपूरितम् । अस्मत्कुलेश्वरं देवमस्मच्छत्रु विनाशनम् । पांड्येशवंशतिलकं केरले केलिविग्रहम् । पंचरत्नाख्यमेतद्यो नित्यं शुद्धः पठेन्नरः ।
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