अन्नमय्य कीर्तन फाल नेत्रानल
फालनेत्रानल प्रबल विद्युल्लता केली विहार लक्ष्मीनारसिंहा ॥ प्रलयमारुत घोर भस्त्रीकापूत्कार ललित निश्वासडोला रचनया । कूलशैलकुंभिनी कुमुदहित रविगगन- चलन विधिनिपुण निश्चल नारसिंहा ॥ विवरघनवदन दुर्विधहसन निष्ठ्यूत- लवदिव्य परुष लालाघटनया । विविध जंतु व्रातभुवन मग्नौकरण नवनवप्रिय गुणार्णव नारसिंहा ॥ दारुणोज्ज्वल धगद्धगित दंष्ट्रानल वि- कार स्फुलिंग संगक्रीडया । वैरिदानव घोरवंश भस्मीकरण- कारण प्रकट वेंकट नारसिंहा ॥
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