अन्नमय्य कीर्तन कलिगॆनिदॆ नाकु
कलिगॆनिदॆ नाकु कैवल्यमु तॊलुतनॆव्वरिकि दॊरकनिदि ॥ जयपुरुषोत्तम जय पीताम्बर जयजय करुणाजलनिधि । दय यॆऱङ्ग ने धर्ममु नॆऱग ना क्रिय यिदि नीदिव्यकीर्तनमे ॥ शरणमु गोविन्द शरणमु केशव शरणु शरणु श्रीजनार्धन । परम मॆऱङ्गनु भक्ति यॆऱङ्गनु निरतमु नागति नीदास्यमे ॥ नमो नारायणा नमो लक्ष्मीपति नमो पुण्डरीकनयना । अमित श्रीवेङ्कटाधिप यिदॆ ना क्रममॆल्लनु नीकयिङ्कर्यमे ॥
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