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अन्नमय्य कीर्तन त्वमेव शरणम्


रागम्: पाडि / पहाडि (29 धीर शन्कराभरणं जन्य)
आ: स रि2 ग3 प द2 प द2 स
अव: स रि2 ग3 प द2 प द2 स
तालं: आदि

पल्लवि
त्वमेव शरणं त्वमेव शरणं कमलोदर श्रीजगन्नाथा ॥ (2)

चरणं 1
वासुदेव कृष्ण वामन नरसिंह श्री सतीश सरसिजनेत्रा । (2)
भूसुरवल्लभ पुरुषोत्तम पीत- कौशेयवसन जगन्नाथा ॥ (प..) (1.5)

चरणं 2
बलभद्रानुज परमपुरुष दुग्ध जलधिविहार कुञ्जरवरद । (2)
सुलभ सुभद्रा सुमुख सुरेश्वर कलिदोषहरण जगन्नाथा ॥ (प..) (1.5)

चरणं 3
वटपत्रशयन भुवनपालन जन्तु- घटकारकरण शृङ्गाराधिपा । (2)
पटुतर नित्यवैभवराय तिरुवेङ्कटगिरिनिलय जगन्नाथा ॥ (प..) (1.5)




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