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अन्नमय्य कीर्तन कण्टि नखिलाण्ड


रागं: मध्यमावति,बिलहरि
आ: स रि2 म1 प नि2 स
अव: स नि2 प म1 रि2 स
रागं: बिलहरि
आ: स रि2 ग3 प द2 स
अव: स नि3 द2 प म1 ग3 रि2 स
तालं:

पल्लवि
कण्टि नखिलाण्ड तति कर्तनधिकुनि गण्टि ।
कण्टि नघमुलु वीडुकॊण्टि निजमूर्ति गण्टि ॥ (2)

चरणं 1
महनीय घन फणामणुल शैलमु गण्टि ।
बहु विभवमुल मण्टपमुलु गण्टि । (2)
सहज नवरत्न काञ्चन वेदिकलु गण्टि ।
रहि वहिञ्चिन गोपुरमुलवॆ कण्टि ॥ (2)
कण्टि नखिलाण्ड तति कर्तनधिकुनि गण्टि । (फा..)

चरणं 2
पावनम्बैन पापविनाशमु गण्टि ।
कैवशम्बगु गगन गङ्ग गण्टि । (2)
दैविकपु पुण्यतीर्थमुलॆल्ल बॊडगण्टि ।
कोविदुलु गॊनियाडु कोनेरि गण्टि ॥ (2)
कण्टि नखिलाण्ड तति कर्तनधिकुनि गण्टि । (फा..)

चरणं 3
परम योगीन्द्रुलकु भावगोचरमैन ।
सरिलेनि पादाम्बुजमुल गण्टि ।
तिरमैन गिरिचूपु दिव्यहस्तमु गण्टि ।
तिरु वेङ्कटाचलाधिपु जूडगण्टि ॥
कण्टि नखिलाण्ड तति कर्तनधिकुनि गण्टि । (फा..)
कण्टि नघमुलु वीडुकॊण्टि निजमूर्ति गण्टि ॥




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