अन्नमय्य कीर्तन निगम निगमान्त वर्णित
निगमनिगमान्तवर्णित मनोहर रूप- नगराजधरुड श्रीनारयणा ॥ दीपिञ्चु वैराग्यदिव्य सौख्यं बिय्य- नोपकरा नन्नु नॊडबरपुचु । पैपैनॆ संसारबन्धमुल गट्टेवु नापलुकु चॆल्लुना नारायणा ॥ चिकाकुपडिन ना चित्तशान्तमु सेय- लेकका नीवु बहुलील नन्नु । काकुसेसॆदवु बहुकर्मल बडुवारु नाकॊलदिवारला नारायणा ॥ विविविध निर्बन्धमुल वॆडलद्रोयक नन्नु भवसागरमुल नडबड जेतुरा । दिविजेन्द्रवन्द्य श्री तिरुवेङ्कटाद्रीश नवनीत चोर श्रीनारायणा ॥
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