अन्नमय्य कीर्तन नित्य पूजलिविगो
रागं: पूजलिविवो आ: स रि2 ग2 म1 प द2 नि2 स अव: स नि2 द2 प म1 ग2 रि2 स तालं: आदि पल्लवि नित्य पूजलिविगो नॆरिचिन नोहो । प्रत्यक्षमैनट्टि परमात्मुनिकि नित्य पूजलिविगो ॥ चरणं 1 तनुवे गुडियट तलयॆ शिखरमट पॆनु हृदयमे हरि पीठमट । कनुगॊन चूपुले घन दीपमुलट तन लोपलि अन्तर्यामिकिनि ॥ चरणं 2 पलुके मन्त्रमट पादयिन नालुके कलकल मनु पिडि घण्टयट । नलुवैन रुचुले नैवेद्यमुलट तलपुलोपलनुन्न दैवमुनकु ॥ चरणं 3 गमन चेष्टले अङ्गरङ्ग गतियट तमि गल जीवुडे दासुडट । अमरिन ऊर्पुले आलबट्टमुलट क्रममुतो श्री वॆङ्कटरायुनिकि ॥
Browse Related Categories: