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अन्नमय्य कीर्तन देव देवं भजे


रागं: हंसध्वनि / धन्नासि
22 खरहरप्रिय जन्य
आ: स ग2 म1 प नि2 प स
अव: स नि2 प म1 ग2 स
तालं: आदि

पल्लवि
देव देवं भजे दिव्यप्रभावं ।
रावणासुरवैरि रणपुङ्गवं ॥ (2.5)

चरणं 1
राजवरशेखरं रविकुलसुधाकरं (2)
आजानुबाहु नीलाभ्रकायं । (2)
राजारि कोदण्ड राज दीक्षागुरुं (2)
राजीवलोचनं रामचन्द्रं ॥ (2)
देव देवं भजे दिव्यप्रभावं .. (2.5) (प)

चरणं 2
नीलजीमूत सन्निभशरीरं घन (2)
विशालवक्षं विमल जलजनाभं । (2)
तालाहिनगहरं धर्मसंस्थापनं (2)
भूललनाधिपं भोगिशयनं ॥ (2)
देव देवं भजे दिव्यप्रभावं .. (2.5) (प)

चरणं 3
पङ्कजासनविनुत परमनारायणं (2)
शङ्करार्जित जनक चापदलनं । (2)
लङ्का विशोषणं लालितविभीषणं (2)
वॆङ्कटेशं साधु विबुध विनुतं ॥(2)
देव देवं भजे दिव्यप्रभावं .. (2.5) (प)




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