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अन्नमय्य कीर्तन वन्दे वासुदेवं


रागम्: श्री
(22 खरहरप्रिय जन्य)
आ: स रि2 म1 प नि2 स
अव: स नि2 प द2 नि2 प म1 रि2 ग2 रि2 स
तालं: खन्ड चापु

01:21-पल्लवि
वन्दे वासुदेवं
बृन्दारकाधीश वन्दित पदाब्जं ॥ (2.5)

चरणं 1
इन्दीवर श्याम मिन्दिरा कुचतटी-
चन्दनाङ्कित लसत्चारु देहं । (2)
मन्दार मालिका मकुट संशोभितं (2)
कन्दर्पजनक मरविन्दनाभं ॥ (2)
वन्दे वासुदेवं बृन्दारकाधीश..(प..)

चरणम् (2)
धगधग कौस्तुभ धरण वक्षस्थलं
खगराज वाहनं कमलनयनं । (2)
निगमादिसेवितं निजरूपशेषप- (2)
न्नगराज शायिनं घननिवासं ॥ (2)
वन्दे वासुदेवं बृन्दारकाधीश

चरणं 3
करिपुरनाथ संरक्षणे तत्परं
करिराजवरद सङ्गतकराब्जं । (2)
सरसीरुहाननं चक्रविभ्राजितं (2)
तिरु वेङ्कटाचलाधीशं भजे ॥ (2)
वन्दे वासुदेवं
बृन्दारकाधीश वन्दित पदाब्जं ॥




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